वैसे ट्यूशन के मास्टर से लेकर और स्कूल से स्कूल तक और यहां तक की कॉलेज तक अगर किसी भी टीचर से आप पूछेंगे की सबसे बड़ा गुरु कौन है तो वह अपने आप को ही सबसे बड़ा गुरु बताएगा वह कहेगा कि मैं ही तुम्हारा गुरु हूं और मैं ही सबसे बड़ा तुम्हारे लिए हु यह बात वह चाहे सीधे-सीधे कर या गुमाफ़िरकार कहे या दोनों ही तरह से कहे चाहे कम परसेंटेज से कहे या चाहे हाई परसेंटेज से कहे चाहे लेस एनर्जी से कहे या हाई एनर्जी से कहे, हर दशा में वह स्कूल - कॉलेज का मास्टर यही बात बताएगा कि मैं ही तुम्हारा गुरु हूं और सबसे बड़ा मैं ही हूं तुम्हारे लिए.
और क्योंकि इस तरह की बातें वह छात्र तमाम जगहों से सुनता है कि गुरु ही सबसे बड़ा है और ट्यूशन स्कूल कॉलेज में पढ़ाने वाले ही गुरु होते हैं ऐसा समझकर वह उन्हें गुरु मान लेता है और गलत व्यक्ति को इस तरह से गुरु मान लेता है या ऐसे व्यक्ति को गुरु मानता है जो वास्तव में उसके लिए अमूल्य है ही नहीं और योग्य भी नहीं है (यहां पर वह व्यक्ति थोड़ा बहुत योग्य है लेकिन उतना भी योग्य नहीं है जितना वह अपने आप को बताता है, मानकर यह चलें कि वह व्यक्ति 10 परसेंट तक योग्य हो सकता है ) गुरु बनने के लिए बाकी का तो हिस्सा उसके माता-पिता का रहता है और उससे भी छूटे तो उसके घर वालों का क्योंकि इतना बातें स्कूल , ट्यूशन और कॉलेज के टीचर भी नहीं जानते हैं की माता-पिता ही सर्वश्रेष्ठ गुरु होते हैं और उसके बाद उसके घर की प्रिय जन होते हैं इसलिए वह खुद ही अपने आप को बताता रहता है की वही सबसे बड़ा गुरु है क्योंकि वह खुद ही अपने जीवन में इतना ही सीखा रहता है, यदि कोई टीचर जानता भी है कि वास्तव में माता-पिता ही सर्वश्रेष्ठ गुरु होते हैं तो भी वह नहीं बताता है,
क्योंकि वह सोचता है कि यह बात अगर मैं शिष्यों को बता दी तो फिर शिष्य मेरी बात नहीं मानेंगे और इससे क्या होगा की कक्षा में मेरी इज्जत घट जाएगी यही सोचकर वह नहीं बताता है इस तरह से देखा जाए तो आज के अध्यापकों द्वारा शिष्यों को गलत शिक्षा ही दी जाती है जिस चीज का वह हकदार नहीं वह इनाम वह शिष्यों से लेना चाहता है. वैसे जग जाहिर है कि आज के गुरु केवल व्यवसाय गुरु है वे केवल शिष्यों से पैसा कमाना ही चाहते हैं और बदले में ज्ञान कम ही देना चाहते हैं वे सोचते हैं कि कम मेहनत में ज्यादा पैसा मिल जाए वही ज्यादा ठीक है आखिर उन्हें भी तो जिंदगी के मौज़ लेने है और मौज़ बिना पैसो के कैसे मिल सकता है ? उनके लिए पैसा ही सर्वस्व है पैसा से बढ़कर कुछ भी चीज नहीं - ऐसा उनकी थिंकिंग होती है और ज्यादातर यही पैटर्न चल रहा है कलयुग 2025 में और आने वाले समय में इसकी दशा और दयनीय स्थिति होती चली जाएगी.
तो क्या कंगाली या दरिद्र बनकर जिया जाए इस तरह की बातें भी कुछ युवा लोग कह सकते हैं या सोच सोच सकते हैं- अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो इसका उत्तर है नहीं आपको कंगाली या एकदम से दरिद्र बनकर नहीं जीना है किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना है लेकिन पैसे कमाने में आपको उतना ही टाइम और एनर्जी लगानी है जितना की आवश्यक है और जरूरत से ज्यादा टाइम और एनर्जी इसमें ना लगाए और यह भी सोच ना रखे की केवल धन ही कमाना है क्योंकि धन का मोल है लेकिन ज्ञान इतना अनमोल है कि आप इसका अंदाजा नहीं लगा सकते। ज्ञान में भी आपको बहुत तरह का ज्ञान मिलेगा प्राप्त करने के लिए मौका मिलेगा , पहले आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करें इसके बाद दूसरे अन्य ज्ञान प्राप्त कर ले ।
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