कोमल स्वभाव वाले व्यक्ति कोलोग मूर्ख समझते हैं

 



अधिकतर यह भी देखा गया है कि जो ऐसे लोग होते हैं अर्थात जो कोमल स्वभाव वाले होते हैं और जिनके मुख से कोमल स्वर में आवाज निकलती है उन्हें साधारण व्यक्ति मूर्ख समझ लेते हैं और ढीला ढीला समझते हैं और ऐसा समझते हुए उन पर अत्याचार भी करते हैं कभी सीधे-सीधे कभी घुमा फिरा कर, कभी कम  परसेंटेज से कभी हाई परसेंटेज से.


तो ऐसी हालत में कोमल स्वभाव वाले ब्यक्ति को क्या करना चाहिए ? क्या उसे श्री गीता पढ़ना छोड़ देनी चाहिए और अज्ञानी बनकर कठोर हो जाय  या क्या करे ? उत्तर है -  ऐसे में उस कोमल स्वभाव वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह मूर्खो से दूर रहे और एकदम कम से कम मतलब रखें और ज्ञानी लोगों के निकट ही रहे  .वैसे वह व्यक्ति अगर खुद में ही केवल रमा  रहे अर्थात उसका एनर्जी ,बुद्धि, पावर जो भी है वह सब, सेल्फ नॉलेज के डेवलपमेंट के लिए ही रहे  तो वह ज्यादा अच्छा है क्योंकि ज्ञान प्राप्ति करना हमेशा अच्छी चीज मानी गई है क्योंकि ज्ञान ही सर्वश्रेष्ठ धन है. गौतम बुद्ध ने कहा है “ कि संसार में दुख है इस दुख का कारण अज्ञान ही  है और शेष दुख तो छाया मात्र ही है अर्थात जितने भी दुख व्यक्ति को मिलते हैं वह उसके अज्ञान के कारण ही मिलते हैं.”


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