आजकल हर शिक्षण संस्थान खूब मोटी कमाई कर रहे हैं हर महीने. छात्रों से 8000 से लेकर 10000 तक के फीस वसूले जा रहे हैं .
कुछ खास स्कूलों की बात करें तो बच्चे को 1 साल पढ़ने में एक लाख से ऊपर तक का खर्चा जा रहा है अब ऐसा बच्चा अगर LKG से लेकर 12वीं तक उस स्कूल में पढ़ता है तो केवल 12 लाख रुपए खर्च उसके ऐसे ही हो जाते है अब बताइए आप खुद ही की 12 लाख रुपए खर्च करके क्या वह बच्चा 12वीं पास करने के बाद यहां से कुछ ऐसी आर्गेनाइजेशन को कांटेक्ट कर सकेगा जहां पर उसे कुछ अर्निंग हो सके, तो इसका उत्तर होगा बिल्कुल जीरो अर्थात 12TH पढ़कर वह बच्चा एक रुपया भी नहीं कमा सकेगा , बहुत कर सकेगा तो ट्यूशन पढ़ सकेगा या कोई बिजनेस कर लेगा लेकिन खुद सोचिये की जिस कैटेगरी में उसने 12 लाख रुपए खर्च किए उस कैटेगरी में तो उसे कुछ ही नहीं मिलने वाला । अब कमाई करने के अर्थात नौकरी के लिए उसे आगे की डिग्री लेनी होगी यानी ग्रेजुएशन की डिग्री तब जाकर वह कही योग्य होगा नौकरी के आवेदन के लिए ,उसमे भी कन्फर्मेशन बिलकुल नहीं के बराबर ही है की उसे कमाई वाला रोज़गार मिल ही जाय
तो इससे अच्छा यही होता की जहां पर उस छात्र ने ₹1200000 खर्च किए वहां तो वह बहुत कम ही पैसे खर्च करके डिग्री लेता और क्योंकि जमाना डिजिटल चल रहा है इसलिए वह घर बैठकर ही अच्छी जानकारी ले सकता था क्योंकि आजकल तो कहा भी गया है कि टीचर इस ऑन योर फिंगर उस छात्र ने अर्थात अन्य टीचर अब आपके फिंगर पर है आप फिंगर से अपने यूट्यूब को सर्च कीजिएऔर एक से एक आपको वहां पर कोर्सेज मिल जाएंगे जिन्हें देखकर आप आसानी से सीख सकते हैं ।
और वीडियो को रोक-रोक कर या बैकवर्ड करके अब कई बार वीडियो को देखकर अपना नॉलेज को बढ़ा सकते हैं और हम अपनी कमियों को सुधार कर सकते हैं, यूट्यूब के अलावा तमाम प्रकार के ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में जहां से बच्चे कोर्सेज ले सकते हैं जैसे UDEMY हो गया और दूसरे उन तमाम प्रकार के सोशल मीडिया , पर्सनल वेबसाइट वाले सेक्टर से जो स्पेशली एजुकेशन के लिए ही वीडियो प्रोवाइड कर रहे हैं उनसे आप नॉलेज ले सकते है वैसे यूट्यूब पर्याप्त है किसी तरह का ज्ञान प्राप्त करने में , वैसे किसी चीज़ का तुरंत ज्ञान लेनी हो तो CHAT -GPT का उपयोग भी कर सकते है ।
. यह सब ज्ञान इसलिए बताया जा रहा है ताकि शिष्य लोग जो अपना पैसा फालतू बर्बाद कर रहे हैं उसे बचा कर रख ले और किसी अच्छी चीजों में इन्वेस्ट कर ले या यू कर लें कि उसे बचा कर रख रहे और भविष्य में आने वाली किसी जरूरत पर , पूर्ति के तौर पर देखें । 12 लाख इन्वेस्ट करने के बाद अगर आप जिंदगी में कुछ नहीं बढ़ रहे हैं इसका मतलब यह है कि जिस स्थान में अपना 12 लाख रुपए इन्वेस्ट किए हैं उसका कोई बहुत ज्यादा मतलब नहीं निकला, आजकल तो शिक्षण संस्थान का बस यही हालत है कि वह आपको कुछ बनाने के बजाय आपसे खुद बन रहे हैं अर्थात आपको वह मनी प्लांट समझते हैं. वह आपको कुछ दे नहीं रहे हैं बल्कि आप से ले ही रहे हैं या यूं समझे कि आपको बहुत कम ही दे रहे हैं और और बदले में वे आपसे ज्यादा से ज्यादा चीज ले रहे हैं।
याद रखिएगा कि हमारे भारतवर्ष में ज्यादातर लोग मिडिल क्लास या उसके नीचे के ही लोग हैं, और मिडिल क्लास या उससे नीचे के लोगों के पास पैसा बहुत ज्यादा नहीं रहता है लेकिन हर गार्जियन चाहता है कि उसके बच्चे का भविष्य बहुत ही उज्जवल रहे इसलिए वह किसी प्रकार मैनेज करके अपने बच्चों को पढ़ना ही चाहेगा , हो सकता है कुछ मिडिल क्लास लोगों के पास पैसा ज्यादा हो इसलिए उन्हें देने में दिक्कत ना हो लेकिन ज्यादातर मिडिल क्लास लोगों के पास पैसा नहीं रहता है फिर भी वे मैनेज करके किसी तरह देते ही है और ऐसी हालत में 12 लाख रुपए इन्वेस्ट करने के बाद अगर उसका बेटा कुछ नहीं बनता है तो फिर वह गार्जियन भी सोचने लगता हैं .
दरअसल इसमें ना गलती छात्र की है ना गार्जियन की है यह सब गलती बस गलत सिस्टम और पैटर्न का है अगर आप ज्यादा पैसे ले रहे हैं जैसे 12लाख रुपए ले रहे हैं तो आप ऐसा कुछ गारंटी भी दे की हां 12 लाख रुपए इन्वेस्ट करने के बाद छात्र और छात्राओं को कुछ न कुछ अच्छा जरूर से मिल जाएगा और उसको फिर ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की राह मत दिखाइए कि यह तो एक फाउंडेशन था ( मतलब 12th पास ) अब आप ग्रेजुएट करेंगे फिर उसके बाद पोस्ट ग्रेजुएट करेंगे या फिर तमाम तरह एंट्रेंस एग्जामिनेशन देंगे तब जाकर आपका सलेक्शन होगा.
जब सब कुछ ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन को ही तय करना है तो फिर इतने बड़े अमाउंट का फीस उस छोटे से एजुकेशन में देने का क्या मतलब है कुछ पूछा जाय तो संस्थान वाले बस केवल एक ही बहाना बनाते हैं कि हम फाउंडेशन मजबूत कर रहे हैं अरे छात्र का फाउंडेशन मजबूत कर रहे हैं या खुद अपनी कमाई का फाउंडेशन मजबूत कर रहे हैं । कमाल का नाटक है शिक्षण संस्थानों का। इन शिक्षण संस्थानों को जरा भी लज्जा नहीं आती कि वह उन छात्रों से इनकम सोर्स बनाकर पैसा वसूल रहे हैं जो की जिंदगी के तजुर्बे से अनजान हैं या बहुत ही कम जानते हैं। शिक्षण संस्थानों को चाहिए कि वह पैसा ले लेकिन वह उतना ही ले जितना अभिभावक आराम से दे सके . यह नहीं की स्क़ूल इंफ्रास्ट्रचर और बाहरी साज सज़्ज़ा के नाम पर वह अभिभावक से बहुत ही ज्यादा फीस वसूली कर ले ।
स्कूल का मैनेजर और कॉलेज के मैनेजर जो की स्कूल और कॉलेज के मालिक होते हैं यह नहीं समझते हैं कि चाहे अत्याचार आप सीधे-सीधे करें या घुमा फिरा कर करें अत्याचार तो अत्याचार ही होता है और अत्याचार रूपी किया गया कर्म का भुगदंड भोगना ही पड़ता है चाहे आप सीधे-सीधे भोगे या घुमा फिरा कर भोगे , आज भोगे या कल भोगे लेकिन भोगना तो है ही। एक कहावत यह भी याद रखें कि जो जैसा बोता है वह वैसा ही काटता है , इस तरह से समझा जाय तो शिक्षा के नाम पर फ़र्ज़ी का कमाया हुआ धन पत्नी - परिवार को कष्ट देकर ही जाता है अब यह कष्ट भले ही स्कूल - कालेज के मालिको को ना समझ आए लेकिन कष्ट मिलता ही है , चाहे यह कष्ट सीधे-सीधे मिले या घुमा फिरा कर मिले या दोनों तरफ से मिले लेकिन मिलता है जरूर।
इसलिए अगर धंधा पानी भी करना है तो श्री गीता जरूर पढ़ ले ताकि श्री हरी के टर्म्स एंड कंडीशन को अच्छी तरह से पूरा किया जा सके। और धन कमाई के साथ साथ मोक्ष प्राप्ति भी आराम से प्राप्त किया जा सके ।
क्योंकि विधि का विधान जो है वह बाय डिफ़ॉल्ट के रूप में पहले से ही सेट है जो जैसा फसल बोएगा उसे वैसा ही फसल काटना भी पड़ेगा अर्थात जिसने कांटेदार पौधा लगाया हैं उसे (कुछ समय बाद जब छोटा पौधा ,वृक्ष में बदल जायेगा ) उसी कांटेदार वृक्ष को काटना भी पड़ेगा, अर्थात जो जैसा करता है वह वास्तव में वैसा ही भरता है अर्थात अच्छा करेगा तो अच्छा भरेगा खराब करेगा तो खराब भरेगा ।
0 Comments