जब भगवान सब जगह है और माता रानी भी सभी जगह हैं तो लोग उन्हें किसी एक ही जगह पर क्यों खोजते हैं. चाहे त्रिवेणी संगम पर नहाए या बनारस नहाए या जहां भी श्री गंगा जी बहती है वहां नहा ले. क्या फर्क पड़ता है. जिस व्यक्ति के मन की शुद्धता साफ है उसे दर्शन कहीं से भी मिल जाता है. और जिस व्यक्ति के अंदर केवल दुराचारी भरा है उसे अमृत स्नान वाला जगह भी शुद्ध और मुक्त नहीं कर सकता. दुष्ट व्यक्ति सही जगह पहुंचता ही नहीं है उसे लगेगा कि वह पहुंच गया है लेकिन वह पहुंचता ही नहीं है यह बात लोगों को क्यों नहीं समझ आती.
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