मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥
गायत्री चालीसा
श्री गायत्री माता की आराधना के लिए गायत्री चालीसा एक महत्वपूर्ण भजन है, जो भक्तों के बीच श्रद्धा से गाया जाता है। यहाँ गायत्री चालीसा दी जा रही है:
॥दोहा॥
जय गिरिराज किशोरी, जय महेश मुख चंद। तुम जग तारिणि माता, गायत्री शुभचंद॥
॥चौपाई॥
गायत्री जी की महिमा भारी। जो नर गावे सो नर तरी॥
जो नर जापे गायत्री मंतर। काटे कष्ट मिटे सब क्लंतर॥
गायत्री की जो करे पूजा। ता सम कोई नहीं है दूजा॥
जो नर ध्यान धरे मन लाई। ता सम कोई नहीं सुखाई॥
गायत्री का जो करे विचार। उसका मिटे मोह अंधकार॥
गायत्री माया, गायत्री भ्रामा। गायत्री से भया विश्व त्रामा॥
गायत्री से रचि गया पसारा। गायत्री जग की है उजियारा॥
जो नर ध्यान धरे मन माहि। ताके कबहुँ ना आवै ताही॥
जो नर कहै गायत्री माता। ता पर न आवै संकट घाता॥
जो नर सुमिरै गायत्री नामा। ता पर राम सदा रखवामा॥
गायत्री मंत्र जो नर गावै। सो नर सुख सम्पत्ति पावै॥
गायत्री मंत्र का जाप जो करै। ता सम कोई सुखी नर नरै॥
जो नर जापै एक हजार। ता सम कोई नहीं है सार॥
गायत्री मंत्र महान है। जो नर जापै सो आन है॥
जो नर जापै पूरे ध्यान। ताके पाप विनाश है आन॥
गायत्री मंत्र जो नर गावै। सो नर सब सुख सम्पत्ति पावै॥
गायत्री मंत्र का ध्यान जो धरै। ता पर ना आवै संकट परै॥
जो नर ध्यान धरै मन लाई। ता सम कोई नहीं सुखाई॥
॥दोहा॥
गायत्री माता की आराधना जो नर जाप। सुख सम्पत्ति पावे सदा, मिटे सकल संताप॥
गायत्री चालीसा के नियमित पाठ से मन को शांति मिलती है, पापों का नाश होता है, और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
गायत्री चालीसा एक भक्ति गीत है जो माँ गायत्री देवी की स्तुति में लिखा गया है। गायत्री माता को वेद माता कहा जाता है और वह ज्ञान, बुद्धि और प्रकाश की देवी मानी जाती हैं। गायत्री मंत्र वैदिक ऋचाओं का एक अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है, और गायत्री चालीसा उस शक्ति, करुणा, और ज्ञान की स्तुति है जो गायत्री देवी से प्राप्त होती है।
यहाँ पर गायत्री चालीसा का पूरा पाठ दिया गया है:
गायत्री चालीसा
गायत्री चालीसा का महत्व:
- आध्यात्मिक शांति: गायत्री चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति मिलती है।
- बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति: गायत्री माता की कृपा से व्यक्ति को विवेक, ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
- संकट से मुक्ति: जीवन में आने वाले संकटों, कष्टों और विपत्तियों से छुटकारा मिलता है।
- सफलता: जिन कार्यों में बाधाएं आ रही होती हैं, उनका समाधान हो जाता है और व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है।
- शुद्धि: यह चालीसा व्यक्ति के मन और शरीर को शुद्ध करती है, जिससे बुरी आदतों और दोषों से मुक्ति मिलती है।
गायत्री चालीसा का नियमित पाठ विशेष रूप से प्रातः काल और संध्या समय करने से अत्यधिक लाभ होता है।
मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥
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