पत्नी से प्रेम करना चाहिए लेकिन उसकी सारी बातें बिल्कुल नहीं मानना चाहिए खास करके घरेलू मामले में और घरेलू मामले में जब मामला बहुत बड़ा हो तो उसकी बातों को तुरंत ना माने बहुत सोच समझ ले फिर ही उसमे कुछ परसेंटेज माने ,बाकी का कुछ परसेंटेज छोड़ दें ,ताकि आगे आप कंफर्म हो सके कि हां जो चीज वह बता रही है सच ही है. है छोटी - मोटी बातों को आप यू ही easily मान सकते है .
भावना से बुद्धि का लोप हो जाता है और बिना भावना के मनुष्य पशु के समान है तो इन दोनों बातों को कैसे मेंटेन किया जाए। भावपूर्ण होना कोई खराब नहीं है लेकिन हर समय और हर परिस्थिति में भावपूर्ण हो जाना भी सही नहीं है।
भावना में बुद्धि कम और हृदय ज्यादा काम करती है इसलिए जहां बुद्धि का काम है वहां भावना से काम ना करें और जहां भावना की जरूरत है वहां बुद्धि ना लगाए। स्त्रियों से प्रेम करने में भावना की जरूरत पड़ती है और डिसीजन लेने में बुद्धि की इसलिए जब कोई भी बड़ा मामला हो तो भावना को 10% रखें और बुद्धि को 90% रखें ताकि एक बड़े मामले के लिए एक बढ़िया सा डिसीजन लिया जा सके।
इसलिए यदि घर परिवार चलाना है तो स्त्रियों की कुल बातें तुरंत मत मानिए खास करके बड़ी-बड़ी बातों को और यदि कुछ बातें मन भी तो उन्हें अच्छी तरह से जांच पर रख ले की क्या वह सही है या छल से कह गए हैं।
इनकी जांच पर बहुत ही जरूरी है अन्यथा आप स्त्रियों के छल और स्वार्थ में फंस जाएंगे और अपने घर परिवार को नष्ट कर डालेंगे, यह कलयुग है यहां हर कोई मांसाहारी है या अन्नाहारी है कोई फलहारी नहीं होता।
और जो व्यक्ति फलाहारी नहीं होता उसमें दूरविचार होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है और ज्यादा मात्रा में दूरविचार होते हैं और ऐसे विचार वाले लोग अच्छा सोच ही नहीं सकते , इसलिए ऐसे लोगो की साडी बाटे १०० परसेंट मान लेना मूर्खता है और महान हानि का काऱण है
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