गुलाब के फूल से रखें अपने दिल स्वस्थ और मन को खुशनुमा /Rose Benefit

 गुलाब के फूल की 8 से 10 पंखुड़ियां जरूर खाएं जिससे मन खुश रहता है एक बार खा कर तो देखें खुद ही खेल समझ में आएगाऔर ज्यादा दिमाग को ठंडा बनाने के लिए सौंफ के साथ मिश्रि का सेवन करे  खास करके खाने के बाद   ।  अगर सुबह ही गुलाब के  फूल को खा लिया जाय तो जबरजस्त फायदा मिलेगा। 



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 गुलकंद बनाने की सरल विधि

ताज़े गुलाब  – 1 से २ किलो ले लो  (देशी गुलाब हो तो और अच्छा)

मिश्री  – 1 किलो ले लो 

इलायची पाउडर – ५० इलायची pcs ko पाउडर बनाकर  (वैकल्पिक) , बाजार  का पाउडर मत लेना बल्कि इलायची खरीदकर पाउडर बना लेना 

सौफ - आधा या एक कप सौफ ले लो 

सौफ और इलायची को मिक्सी में पीस लो।  तथा मिश्री को मुसर या किसी भारी चीज़ से पीट पीट कर चुरा बनाकर मिक्सी में पीस लो। 

गुलाब को पानी से अच्छी तरह धोकर रूम के अंदर पंखे के निचे सुखाये ,धुप में कदापि न शुखाये नहीं तो गुलाब की साड़ी विटामिन्स और मिनरल्स ख़त्म हो जायेगी। 


जब ५ से ६ घंटे में गुलाब का मॉइस्चर ख़त्म हो जाय तो उसे शीशे के बड़े जार में डालकर उसमे पीसी हुई मिश्री  और सौफ इलयच दाल दे और सब मिक्स करके शीशे के जार के मुख एकदम महीन हवादार कपडे से बांध दे ताकि जार के अंदर हवा आ जा सके।  और १० दिन तक सवेरे शाम की हलकी धुप दिखाए ताकि तेज़ धुप से गुलकंद की क्वालिटी ख़राब न हो और इसकी पावर मेन्टेन रहे। 


उसके बाद सालभर या उससे ज्यादा दिन तक आप इसे यूज़ कर सकते है। केवल इतना ध्यान रखे की शीशे का जार का मुँह हमेसा हवादार कपड़ा से बांधे ताकि उसमे बाहर की शुद्ध हवा जाती रहे , इससे आपका गुलकंद कभी ख़राब नहीं होगा।  

 गुलाब की पंखुड़ियाँ से बनी गुलकंद शरीर के तापमान को संतुलित करती हैं। गर्मी लग रही है यदि और १ चम्मच यदि गुलकंद खा लिए तो गर्मी आपको लगेगी ही नहीं और आपका मन शांति और शीतलता को महसूस करेगा।  एकबार खा कर तो देखो ,फिर कहोगे की वाकही में जो यहाँ लिखा गया है वह एकदम सही है। 


गुलकंद पेट को ठंडा करता है – कब्ज, एसिडिटी और पेट की जलन को शांत करता है।


गुलकंद  खून को ठंडा करता है – नकसीर, जलन, लाल चकत्ते जैसी समस्याओं में लाभकारी है।

गुलकंद लू और धूप से बचाव – गर्मियों में लू लगने से होने वाली बेचैनी और चक्कर से बचाता है।

गुलकंद सिर्फ शरीर की गर्मी ही नहीं कम करता, बल्कि यह मन और इन्द्रियों को भी शांत करता है।

कामवासना -

कामवासना (Sexual Urge) ज़्यादातर शरीर की आंतरिक गर्मी, हार्मोनल असंतुलन और मन की अस्थिरता से बढ़ती है। गुलकंद में गुलाब की पंखुड़ियों का शीतल (Cooling) और संतुलित (Balancing) गुण होता है। यही गुण कामवासना को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

कैसे मदद करता है गुलकंद –

  1. गुलकंद शरीर की अतिरिक्त गर्मी को शांत करता है। जब शरीर बहुत गर्म होता है तो कामवासना अधिक जाग्रत होती है।

  2. यह मन और दिमाग को ठंडक पहुँचाता है। इससे अनचाहे विचार और उत्तेजना पर नियंत्रण आसान हो जाता है।

  3. गुलाब की पंखुड़ियों का स्वभाव सत्त्विक होता है। आयुर्वेद में इसे मन को स्थिर और शुद्ध करने वाला माना गया है।

  4. इसका नियमित सेवन नींद अच्छी करता है और मन को शांति देता है, जिससे कामुक विचारों की तीव्रता धीरे-धीरे कम होने लगती है।

गठिया (Arthritis) मुख्य रूप से जोड़ों में सूजन, दर्द और गर्मी की वजह से होता है। आयुर्वेद के अनुसार यह वात और पित्त दोष के बढ़ने से जुड़ा होता है। गुलकंद का स्वभाव शीतल (Cooling) और पित्तशामक होता है, इसलिए यह गठिया की समस्या में अप्रत्यक्ष रूप से मदद करता है।

गुलकंद गठिया में कैसे लाभ देता है –

  1. सूजन और जलन कम करता है – गुलकंद शरीर की आंतरिक गर्मी को कम करता है, जिससे जोड़ों की सूजन और जलन शांत होती है।

  2. पित्त दोष को संतुलित करता है – गठिया में पित्त दोष बढ़ने पर दर्द और लालिमा होती है। गुलकंद पित्त को शांत करता है और आराम दिलाता है।

  3. एंटी-ऑक्सीडेंट गुण – गुलाब की पंखुड़ियों में प्राकृतिक एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जो जोड़ों के ऊतकों की रक्षा करते हैं और धीरे-धीरे सूजन घटाने में मदद करते हैं।

  4. पाचन में सुधार – गठिया में खराब पाचन और अम्लता (Acidity) भी एक कारण बनते हैं। गुलकंद पाचन ठीक करता है और टॉक्सिन (आम दोष) को कम करता है।

  5. मानसिक शांति – गुलकंद मन को शांत रखता है। मानसिक तनाव भी गठिया के दर्द को बढ़ा देता है, जिसे गुलकंद खाने से कम किया जा सकता है।

सेवन का तरीका

  • गठिया रोगियों को गुलकंद सुबह और रात दूध के साथ लेना चाहिए।

  • मात्रा लगभग 1–2 चम्मच रोज़ाना ठीक रहती है।

यकीन मानिये हड्डियों का दर्द यदि है , चाहे वह शरीर में कही पर भी हो और चाहे वह दर्द कीतना भी पुराना क्यों न हो वह 15 से 20 दिन में सही होने लगता है।  है लेकिन गुलकंद घर का बना हो।  क्योकि बाजार वाले गुलकंद बेचने  चक्कर में quality  का ध्यान नहीं रख पाते है और गुलकंद को तेज़ धुप में सूखा देते है , जिससे उसकी सारी  पावर ख़त्म हो जाती है। 

काम-वासना और क्रोध को तो यह बड़ी आराम और प्रेम से ख़त्म कर देता है।  

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