अंत में अपना बुद्धि विवेक ही सहारा बनता है

 




  देखा  जाए तो ज़िन्दगी कोई काम नहीं आता  खास करके  मुश्किल के समय में  ( बड़ी मुश्किल से कुछ ही लोग काम आ जाते है लेकिन इसका परसेंटेज और चांस दोनों ही काम होता है ), अंत में इंसान का उसका  बुद्धि विवेक ही काम आता है। 

सुख में तो बड़ी लोग साथ रहते है लेकिन  दुख में कोई साथ नहीं होता है या कहे  की बहुत कम लोग साथ होते हैं इसलिए व्यक्ति को अपना बुद्धि विवेक बहुत ही अच्छा रखना चाहिए क्योंकि बुद्धि विवेक ही वह  टूल है जिसकी मदद से  हम मुसीबत के समय अच्छे डिसीजन लेकर उस मुसीबत को कम कर सकते हैं या ख़त्म भी कर सकते हैं इसलिए हर व्यक्ति को अपना बुद्धि  विवेक रखना चाहिए और अच्छे स्टेज में रखना चाहिए।


क्रोध से बुद्धि - विवेक नष्ट होता है इसलिए व्यक्ति को बेवजह क्रोध नहीं करना चाहिए  और अगर क्रोध आ भी जाए तो उसे जितना शीघ्र हो सके उतना जल्दी खत्म करने की कोशिश करना चाहिए ।  


क्रोध  विनाश का कारण होता है , परिवार में तो खास करके क्रोध ना करे और यदि क्रोध की स्थति उत्त्पन्न भी हो जाय तो अत्यंत कम से कम क्रोध करें वही अच्छा है ,नहीं तो परिवार नहीं चलेगा। 


 कुछ पाठकगड़  को हो सकता है की यह बात छोटी  लगे या आपको अजीब लगे लेकिन इन्ही छोटी - छोटी बातों में आपका संसार बसा  रहता है। इसलिए इन बातो को छोटा समझकर नज़रअंदाज़ न करे क्योकि इन्ही छोटी -छोटी बातो पर आपका जीवन और परिवार की इमारत खड़ी  रहती है। लाभकारी ज्ञान चाहे छोटा हो या बड़ा यदि वह जीवन में अच्छा और शानदार योगदान दे रहा है तो उसे छोड़े नहीं बल्कि मजबूती से पकड़ कर रखे। 


एक बात और ध्यान देने की है की  अन्न के  चटपटे स्वाद क्रोध को बढ़ावा देते हैं , इसलिए ज्यादा चटर -पटर न खाएं , नमक मिर्च मसाला इन तीन चीजों का  प्रयोग अंत्यंत कम से कम  करें या कोशिश करें कि धीरे-धीरे इनको छोड़ दे , क्योकि क्रोध को बढ़ावा देने वाली चीज़ो  की संगती ठीक नहीं होती। 


और हो सके  ज्यादा से ज्यादा फल का सेवन करें क्योंकि फल दिमाग को शांत रखने में अति महत्वपूर्ण योगदान देता है।  


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