महिलाओं की असली सुंदरता


 

 किसी भी स्त्री  का  असली गहना उसकी इज्जत होती है लेकिन आजकल की औरते और लड़कियां इज्जत रूपी गहने  को महत्व न देकर सोने -चांदी और दूसरे अन्य आभूषणों को असली गहना मानती  हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि  स्त्रियों की सुंदरता उनके अंग छुपाने में है, ना कि अंग  दिखाने में। 


लेकिन आजकल तो ठीक उल्टा ही चलन चल रहा है ,स्त्रियों और लड़कियां आजकल बहुत ही बेढंगे  टाइप के कपड़े पहन रहे है , दिन पर दिन तन पर से कपड़े छोटे ही होते जा रहे हैं और आगे छोटे होते जाएंगे भी और एक समय ऐसा भी आएगा कि जब महिलाएं निर्वस्त्र होकर घूमेंगी और पुरुष भी कुछ इसी तरह के वेशभूषा में होंगे यानी पूरा समाज नष्ट भ्रष्ट हो गया होगा। 


वैसे  बेशर्मी और निर्लज्जता का  काम वही लोग करते हैं जिनको ज्ञान और बुद्धि विवेक से कोई मतलब नहीं रहता है और शास्त्र ज्ञान अर्थात धर्म ज्ञान से वह कोसो  दूर रहते हैं।  


जब व्यक्ति को अच्छे बुरे का ज्ञान ही नहीं रहेगा ,और  कब क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इसका उसे जरा भी ज्ञान नहीं रहेगा तो वह उल्टा सीधा रास्ते चलेगा ही और उल्टे सीधे आचरण तथा व्यवहार करेगा ही। 


10 से 12 साल बितते- बीतते  हर व्यक्ति को श्री भागवत गीता  का ज्ञान होना  ही चाहिए ताकि ब्यक्ति को इस  बात का ज्ञान हो जाए कि किस परिस्थिति में उसे क्या करना है और क्या नहीं करना है। 


और इसके लिए सबसे अच्छी बुक है गीता प्रेस गोरखपुर की., आप किसी महंत ,बाबा, संत या किसी भी गुरु के चक्कर में ना पड़े ,श्री भागवत गीता के अध्ययन के लिए श्री रामसुखदास जी द्वारा लिखित गीता प्रेस गोरखपुर की किताब जरूर जरूर से पढ़े क्योंकि आज के जमाने में सब चोर बेईमान और दुराचारी है।  कौन कब हवस का राक्षस बन जय क्या पता। 


फालतू बाबा , संत , महाराज ... ...... इत्यादि लोगो  की बातों में ना आए क्योकि वे 80% अच्छे हो सकते हैं लेकिन उनकी 20% की खराबी ही  बहुत ही प्रलयकारी हो सकती  है. इसलिए  रिस्क लेने से क्या फायदा ,आज के जमाने में किसी को अपना गुरु बनाने से अच्छा है की श्री  भगवत गीता की किताब जो गीता प्रेस गोरखपुर की लिखी है वही बढ़िया मानकर उसे ही अपना गुरु मान ले और किताबों से ही ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करें क्योंकि किताबें ही जीवन की सबसे अच्छी मित्र होती है क्योंकि यह जिंदगी में कभी मोल  भाव नहीं करती और  बहुत  सुख देती है ज्ञान का धन देकर सुख देती है। 


यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जब तक जीवन है तब तक अपने आप को विद्यार्थी समझ कर ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और ज्ञान में भी श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और श्रेष्ठ ज्ञान  धर्म ज्ञान ही होता है और धर्म ज्ञान में भी जो सबसे बड़ा ज्ञान है वह श्रीमद् भागवत गीता का ही है अतः श्री गीता का ज्ञान जरूर जरूर से प्राप्त करें।

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