हार कर जीतने वाले को ही बाजीगर कहते हैं ,
मर्द को दर्द नहीं होता। ...इत्यादि इत्यादि ,
इस तरह के तमाम प्रकार के जो उल्टी सीधे बाते है और कहावते है उसी का खंडन आप इस पोस्ट में जानेंगे.
समाज में इस तरह की बातों को लोग बहुत ही पावरफुल ढंग से सोख लेते हैं जिससे क्या होता है कि उनका डैमेज तो होता है ही है लेकिन यह मुहावरे कहावतें की जो भी बातें हैं उसे जब वह महफिलों में छोड़ते हैं या चार समाज में छोड़ते हैं या ग्रुप में बैठे लोगों के बीच जब छोड़ते हैं तो इन सब बातों का उन व्यक्तियों पर कितना गलत असर पड़ता है यह शायद बोलने वाला नहीं जानता या समझता है. वह तो बस केवल अपना ही डिंग हांकने और जोतने में लगा रहता है। वह क्या जाने की उसके इस तरह के डिंग हांकने और जोतने के ढंग से समाज को कितना ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है यहां पर जोतने का मतलब बातों की गलत मनमानी से है।
................................आगे और लिखना बाकी है .................................
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