फ्रॉड और दुस्ट साधु -संतो से सावधान रहे तथा ख़राब पब्लिशर की किताब ना पढ़े


जैसे आजकल तो कुछ  पब्लिशर  अपने किताब को छाप रहे हैं और लोगों से इधर-उधर करके अपना मठ  और संस्थान भी ज्वाइन करवा रहे हैं और जब लोग इनका मठ और संस्थान ज्वाइन कर लेते हैं तो वह सीधे-सीधे या घुमा फिरा कर खूब उनका शोषण करते हैं ,महिलाओं का यौन शोषण इसमें खास चर्चा में रहा है और सबसे खास बात  इस चर्चा में यह है की जो चीज चर्चा में रहती है लोग बस उतना ही जानते हैं यह सोचिए कि जो चीज अभी हो रही है और चर्चा में नहीं है उसका  क्या हाल होगा यानी डेटाबेस अभी भी बहुत तगड़ा है इसीलिए मताये ,बहने  इन संत ,महात्मा, बाबा इन सब के ज्ञान के चक्कर में फंसे नहीं।  इसलिए सही लेखक और पब्लिशर का किताब पढ़े ताकि आपको शुद्ध ज्ञान हो ज्ञान के साथ-साथ छल  भी ना प्राप्त हो और आप छले  भी न जाए । अतः किताबों के चयन करने में आप खूब सतर्क रहें । 


 अगर इंसानो से गहरी  दोस्ती किया जाए तो वह मोलभाव करते हैं ,वह अगर कुछ देते हैं तो बदले में कुछ ना कुछ लेते जरूर है  चाहे सीधे-सीधे ले या घुमा फिरा कर ले चाहे दिखने वाली चीज ले या ना दिखने वाली चीज ले लेकिन वह लेते जरूर है लेकिन किताबें हमसे कुछ नहीं लेती है वह हमसे कोई मोल भाव नहीं करती है


किताबें ही इंसान की सच्ची मित्र होती है और अगर आपके पास श्री भागवत गीता 18 पुराण और 72 उपनिषद यह सब है तो आपको किसी भी पंडित महात्मा या बाबा की जरूरत नहीं है।  अगर इन सभी में केवल  श्री गीता भी रखते है तो भी आपको किसी की जरुरत नहीं है , क्योकि आप पढ़कर ही सबकुछ  जान जाएंगे  और ज्ञान प्राप्त कर लेंगे। 


एक बात और ध्यान रखिए कि भगवान सब जगह है अतः मंदिर में जो चीज बहुत ही अंदर हो ,बेवजह के अंदर फालतू कमरा हो या बहुत ही गुप्त स्थान हो वहां जाकर दर्शन करने की कोशिश ना करें ,वह सब दर्शन के नाम पर फासने  का एक तरीका होता है खासकर महिलाएं तो बिल्कुल ही न जाए , खुद सोचिये की जब भगवान सब जगह है तो हम अतरे- खोतरे  क्यों जाय ? 


धरती आकाश , जल, वायु  पेड़ -पौधा हर जगह तो है भगवान   क्यों उन्हें आप  अतरे-खोतरे  ,गुफा  …… इत्यादि में देख रहे हो। इसलिए संत ,महात्मा,बाबा के गुप्त कमरे में न जाय दर्शन के नाम पर ,  इन सब एक्टिविटी की कोई जरुरत ही नहीं है  इसलिए आपको बिना मतलब का अपना सिर तलवार की धार पर रखने की कोई जरूरत नहीं है। 


यही हाल मूर्तियों का भी है.  , लोगों को लगता है कि भगवान या माता रानी की मूर्ति में ही भगवान या माता रानी रहते  हैं, लेकिन लोग शायद यह नहीं जानते हैं कि भगवान सर्वत्र है और माता रानी भी सर्वत्र है  तो फिर भी लोग उन्हें मूर्ति में ही क्यों देखते हैं  सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसी तरह देखने की वजह से लोग दूर से दर्शन करने के बजाय   मूर्ति के पास एकदम जाकर दर्शन करना चाहते हैं और बहुत ही भीड़ और समस्या  का सामना करते हैं , तथा बेवजह का परेशानी झेलते है।  हो सकता है कि यह बात आपको काफी मामूली लगे और यह ज्ञान भी मामूली  लगे लेकिन आपने देखा होगा इसी मामूली  ज्ञान का आभाव  होने पर आप बहुत बार उपरोक्त समस्या से परेशान रहे  होंगे


यही सब छोटी-छोटी ज्ञान की कमी  बड़ी समस्या बनकर आपको कष्ट देता है इसीलिए कहा जा रहा है कि आप श्री गीता का अध्ययन करें ताकि आपको पता चले की   चीजों को कैसे करना है ? और कब करना है ? किस तरीके से करना है ?  तो अब समझे  मूर्ति के पास एकदम घुसकर दर्शन लेने के बजाय दूर से ही प्रणाम कर ले , क्योकि भगवान ,धरती , गगन आकाश ,जल , वायु। ....... इत्यादि  हर जगह है।   उनका होलोग्राम हर जगह फिट है , अतः फालतू के किसी भी जंजाल में न फंसे और फाटक से ज्ञान प्राप्त करने की क़ोशिस  करिये।  

याद रखिएगा आपका ज्ञान ही आपको परेशानी से बचाएगा,और बहुत ही बड़ी- बड़ी परेशानी से बचाएगा। 

 अतः आलतू -फालतू लोगों का लिखा हुआ ना पढ़े  और फालतू पब्लिशरों का भी लिखा ना पढ़े।  अगर पढ़ना ही है तो श्री गीता प्रेस गोरखपुर का ही गीता पढ़े और अपना जीवन उन्नत और उज्जवल बनाएं। 

पढ़ कर तो देखें क्योकि जैसे खाने का स्वाद केवल सूंघकर  नहीं समझा जा सकता है या महसूस किया जा सकता है ठीक उसी तरह  श्री गीता को केवल सुनकर ही महसूस नहीं किया जा सकता है जब तक उसे अध्ययन के द्वारा खा न   लिया जाए



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