रियल ज्ञान कोनसा है और यह अपडेट का क्या झंझट है ? सूट से दुप्पटा क्यों अब गायब है ?

  




स्कूल - कॉलेज में केमिस्ट्री ,मैथ ,बायो ,इतिहास ,भूगोल,ला,.........इत्यादि विषयो की पढ़ाई होती है  यह बात एकदम सही है लेकिन  इस केमिस्ट्री ,मैथ ,बायो वाली ज्ञान हमें जीने -खाने की तो व्यवस्था  होने के चांसेस ज्यादा है अब व्यवस्था हो ही जाएगा और हमेशा हो जाएगा यह भी नहीं कहा जा रहा है क्योंकि यह पढ़ाई भी अपने आप में श्री रामबाण की पढ़ाई नहीं है और इसमें भी अगर मगर चलता है जहां तक रुपए कमाने और बिजनेस की बात है.

 यानी इससे हमें थोड़ा बहुत फायदा तो मिल सकता है लेकिन वह फायदा हमें नहीं मिलेगा जो हमें चाहिए .


 लेकिन थोड़ा दिमाग लगाकर और गहराई से सोचा जाय तो यह भौतिक,केमिस्ट्री,बायो,कॉमर्स ,मैथ  वाला ज्ञान हमारे दिमाग को महीन और क्रीमी तो कर ही सकता है (अर्थात हमारे दिमाग की जो धार है उसे तेज कर सकता है ) लेकिन यह अपने आप में कंप्लीट चीज नहीं है।  क्योकि यह ज्ञान आपको यह  नहीं  बता सकता कि किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए ? 


किस  समय क्या डिसीजन लेनी चाहिए और क्यों लेनी चाहिए ? कौन सा  डिसीजन प्रेजेंट ,पास्ट ,फ्यूचर  में क्या गुल खिला सकता है इन सब का उत्तर देने में यह ज्ञान असमर्थ है क्योंकि यह ह्यूमन मेड चीज है और ह्यूमन मेड चीज में परफेक्टनेस का अभाव होता है या उसमें कहीं कम तो कही ज्यादा  और कही बहुत ही ज्यादा की , गुणवत्ता की कमी  रहती है और हमेशा कुछ ना कुछ  अभाव का ( कमी का )  टैग लगा  ही रहता है उनमे इसीलिए तो उनमे हमेसा अपडेट की डिमांड रहती है और इस अपडेट की डिमांड  को पूरा भी किया जाता है। और इस कमी को पूरा करने के लिए ही तो लोग हमेशा अपडेट उतारने में लगे रहते है।  हमेशा इन लोगों का नया वर्जन ही निकलता है और नया वर्जन निकालने में यह कहते हैं कि देखिए यह वर्जन पहले से ज्यादा त्रुटि से मुक्त है यानी कहीं ना कहीं वे  खुद ही मान लेते है  कि पहले जो किताबें लिखी गई थी अर्थात इस बुक की पहले जो वर्जन था  उसमें कुछ त्रुटियां थी और  सही और सरल ज्ञान का आभाव था .


 और यह बात केवल किताबों तक ही सीमित नहीं है बल्कि आज के डिजिटल टेक्नोलॉजी में भी खूब ही ज्यादा फिट होता है और  बहुत सारी दूसरी अन्य चीजों में भी जैसे

 मोबाइल,विंडो,सॉफ्टवेयर ,मशीन के फंक्शन्स यह  सब अपडेट  तो होते रहते है।  यानी यह एक ऐसी  चीज हैं जो कि हमेशा कुछ ना कुछ कम का भाव लिए रहती है और इसको पूर्ति के लिए भी हमेशा अपडेट जारी किया जाता  हैं कि नया वर्जन आया है बुक का यह पढ़ लो ,नया विंडो 12 आया है अपडेट कर लो ,फोटोशॉप का नया वर्जन  आया है अपडेट करो ,इस ऐप (app )  को अपडेट करो , यह लड़कियों ,औरतो का दुप्पट्टा लेने वाला सिस्टम पुराने जमाने  की  चीज़ है या देहाती होने का ठप्पा है इसको हटा दो ( नयी फैशन अपडेट के अनुसार) ,  शरीर पर से दिन पर दिन  पहने हुए वस्त्र का कम हो जाना अर्थात लोग कपड़ों को काफी काट - छांट करके अपने शरीर पर धारण कर रहे हैं। 

 और आज की महिलाएं इसमें बहुत ही ज्यादा  आगे बढ़कर हिस्सा ले रही है  । 


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