आजकल की युवक और युवतियों का तो बस एक ही फार्मूला है कि यह जो नया वाला फैशन आया है वह बहुत ही अच्छा है.
मतलब की कुल पुराना ख़राब और कुल नया अच्छा यह सोच और अनुमान है लोगो का और इसी कमी को देखते हुए अपडेट रूल जारी किये जाते है । वैसे साधारण ज्ञानी जब कोई डिज़ाइन करते है तो वे एकदम से परफेक्ट चीज़े बना ही नहीं सकते , भले ही बनाने वाले ब्यक्ति को या अन्य उपभोक्ता लोगो को वह चीज़ सर्वोत्तम क्यों न लगे।
क्योंकि यह लोग कम ज्ञान प्राप्त करके ही चीज़ो को डिजाइन करते हैं इन व्यक्तियों के अंदर साधारण ज्ञान ही रहता है और एक साधारण ज्ञान का व्यक्ति साधारण चीज़े ही डिजाइन कर सकता है , वह अलौकिक चीज़े नहीं बना सकता अलौकिक चीज बनाने के लिए अपने अंदर अलौकिक ज्ञान होना चाहिए { जो किसके अंदर होता ही नहीं और आगे होगा भी नहीं) जब व्यक्ति के अंदर का कंटेंट काफी लो लेवल का है तो वह हाई लेवल की चीज कैसे बना सकता है ? अर्थात नहीं बन सकता है
क्योकि वह साधारण लिमिटेड ज्ञानी है। जबकि श्री हरि द्वारा बनाई गई चीज़े काफी शानदार होती है और एकदम लाजवाब होती है श्री हरि द्वारा लिखित श्री गीता शास्त्र अनंत तक रहेगी क्योंकि जो लिखने वाले हैं वह अनंत ज्ञानी है और सर्वेशार है और अनंत ज्ञानी आत्मा जब लिखते है या लिखवाते है तो वह अनंत ज्ञान ही होता है उसमें सर्वस्व भरा रहता है
अब इस तरह की बातों को कोई समझे चाहे ना समझे लेकिन रहता है चीज वही, अर्थात उसमें सर्वस्व भरा रहता है यहां सर्वस्व भरा ररहने का मतलब है सब कुछ भरा रहता है और सब कुछ सार्थक ही भरा रहता है अर्थात उन्नत चीज़े ही भरी रहती है.अधिक्तर यही देखा गया है की बिना गीता शास्त्र के ज्ञान के बात करना कुछ और बात है और श्री गीता शास्त्र के अध्ययन और ज्ञान के बाद बात करना कुछ और बात होती है.
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