दारुबाज - घर की बर्बादी का असली भीलियन
कोई भी व्यक्ति जो दारू अधिक मात्रा में पिता है उसका दिन पर दिन दिमाग कमजोर होते चला जाता है और दिमाग कमजोर होने से वह सही खराब ,अच्छा - बुरा इत्यादि का निर्णय लेने में असमर्थ होता जाता है इस तरह से देखा जाए तो अपने वह खुद के जीवन में और परिवार के जीवन में तालमेल बैठने में एकदम असमर्थ हो जाता है और उसका जीवन नष्ट हो जाता है। इसतरह वह होकर भी धरती पर नहीं होता है, इसलिए जो व्यक्ति अगर अपना घर परिवार चलाना चाहते हैं तो उन्हें दारू के सेवन को बंद करना होगा हालांकि यह बंद करना उतना आसान भी नहीं है जितना आसानी से लोग बोल देते हैं या फिर जितना ज्यादा आसानी से यहां लिख दिया जा रहा है क्योंकि कोई भी गलत आदत छोड़ने में एकदम व्यक्ति की लगभग नस कबर जाती है अर्थात उसे बहुत ही ज्यादा मेहनत करना पड़ता है और दिन प्रतिदिन मेहनत करना पड़ता है वह भी कंटीन्यूअस ढंग से क्योंकि हमला कभी भी हो सकता है यहां हमला होने का मतलब है दारु पीने की इच्छा से है क्योंकि दारु पीने की इच्छा जब समय पर जागती है तो वह व्यक्ति को खींचकर दारू के खाने पर ले जाती है अर्थात दारूखाने पर ले जाती है और एक बार वहां पहुंचते ही व्यक्ति अपना बुद्धि - विवेक डबल रेट से खो देता है और गटागट दारु पीने लगता है और पी लेने के बाद वह अपना बुद्धि - विवेक हाई परसेंटेज के रूप में खो देता है वैसे यह परसेंटेज इस बात पर डिपेंड करता है कि उस व्यक्ति ने उस समय
कितने परसेंटेज और अमाउंट में दारू लिया है।
दारु पीने वाले अपना घर - द्वारा दोनों फूक (बर्बाद ) करके रख देते हैं. इतिहास गवाह है कि दारु पीने से आज तक न जाने कितने घर परिवार तबाह हुए हैं आप लोग खुद ही अपने गांव समाज शहर में यह सब बर्बादी देखते ही होंगे और जरूर से परिचित होंगे दारु पीने वाले परिवार के डैमेज से , इसलिए सभी दारु पीने वालों को चाहिए कि वह अपना दारु पीने का आदत जल्द से जल्द छोड़ दे यदि वे अपना घर परिवार अच्छी तरह से चलाना चाहते हैं तो क्योंकि इतिहास गवाह है कि दारु पीने वाले का घर अपने आप जलकर खाक हो जाता है.इसलिए सभी दारू पिने वाले भाई - बंधू जल्दी से दारू पीना बंद करे। दारु पिने वाला केवल खुद खुस होना चाहता है। वह परिवार ,रिस्तेदार और समाज के बारे में बहुत कम परसेंटेज के रूप सोचता है जबकि खुद के आनंद के बारे में बहुत ज्यादा। इसलिए दारू पीना बंद होना ही चाहिए और केवल ब्यक्ति विशेष तक ही न बंद हो बल्कि गांव,शहर और राज्य तक बंद हो अर्थात दारू केवल बिहार तक ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश और दूसरे अन्य राज्यों में भी दारू की पूरी तरह से बंद हो जाना चाहिए। ताकि सभी राज्यों के भारतीय परिवार के हर सदस्य खुश रह सके ।
दारू छोड़ने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जिस समय आपको दारु पीने की तीव्र इच्छा हो अर्थात दारु पीने का अटैक आपके दिमाग पर पड़े उसी समय आप कोई दूसरा ड्रिंक पी ले अर्थात कोई नार्मल ड्रिंक पिए जो की सेहत के लिए फायदेमंद हो .
जब पेट और मन भर जाएगा तो आपको खुद ही दारू पीने का मन नहीं करेगा और धीरे-धीरे आप अपने आप को हिप्नोटाइज भी करें , हिप्नोटाइज करने का मतलब वह होता है कि खुद को सम्मोहित करें सम्मोहन इस तरह से होता है कि जब भी आप रात को सोने जाएं तो हल्की-हल्की जब नींद आने लगे तो उसी समय मन ही मन में कहे की " दारू नहीं पीना है " यह सब बात मन ही मन में 25 से 50 बार डेली कहें और आराम से कहें।
रोज इसी तरह की बात कहने पर दिमाग एक दिन ऑटोमेटिक कमांड ले लेगा और उसके बाद फिर आपका मन दारु पीने में नहीं लगेगा और आप दारु नहीं पी पाएंगे दारु को घृणा के भाव से हिप्नोटाइज करें जैसे कि दारू में बहुत जारी गंदगी मिली होती है उसमें तमाम तरह के नाली के गंदगी रहती है और पशु पक्षियों के उसमें यूरिन होते हैं इस तरह के जब खराब खराब बातें सोचेंगे आपकी अंदर से आपकी दारु पीने की इच्छा खत्म हो जाएगी जब चित्त से दारु पीने की इच्छा उतर जाएगी तब आप दारू पिएंगे ही नहीं। हो सकता है कि सही ढंग सेल्फ हिप्नोटाइज करने में आपको 15 से 30 दिन या फिर 1 से 2 महीने का समय लग सकता है क्योंकि आप हिप्नोटाइज के बारे में अच्छा नहीं जानते हैं , इसलिए आप हिप्नोटाइज ठीक से ना कर पाए लेकिन अगर आप जैसा सेल्फ hipnotize के बारे में बताया गया है वैसा करते रहेंगे तो आपका मन एक दिन ऑटोमेटिक कमांड ले लेगा और आपको कोई दिक्कत नहीं होगी और तीसरी जो सबसे इंपोर्टेंट है बात यह है कि हर किसी को श्री गीता शास्त्र पढ़ना ही चाहिए।
श्री गीता शास्त्र पढ़ेंगे तो आपको ज्ञान होगा कि कोई भी दारू -गाजा- हेरोइन ...इत्यादि पीने वाले का जीवन कभी सुखी नहीं रहता उसे थोड़े समय के लिए सुख लगेगा लेकिन अपनी 24 घंटे के लाइफ में वह देखेगा की ज्यादातर वह परेशान ही है। और तनाव युक्त ही है और ऐसा ब्यक्ति अपने परिवार को ठीक ढंग से चला नहीं पाता भले ही उसके पास कितना ज्यादा पैसा क्यों ना हो . उसकी मानसिक स्थिति हमेशा बेचैन सी रहती है।
इसके अलावा भी बहुत प्रकार की ढेर सारी परेशानियां है जो की एक शराब पीने वाले व्यक्ति को झेझेलनी पड़ती है।
शास्त्र में तो यह भी कहा गया है कि शराब पीने वाले भक्तों से भगवान कभी खुश नहीं होते हैं चाहे वह कितना भी भक्ति क्यों न करें। क्योंकि मदिरा और जुआ अपने आप में बहुत ही निम्न स्तर की चीज है यह जीवन के स्तर को एकदम खत्म कर देती है। और ब्यक्ति को इस लोक से लेकर परलोक तक केवल दुखी ही दुख भोगना पड़ता है।
मदिरा पीने वालों को अगले जन्म में क्या बनना पड़ता है उन्हें किस तरह की सजा मिलती है अगर इसका पूरा डिटेल जानना है तो आप श्री गरुड़ पुराण भी जरूर से पढ़ें।
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