चाहे तीर से लड़ें या शब्दों के तीर से लड़े दोनों लगभग एक ही बात होती है अर्थात दोनों में बहुत ही कम का अंतर होता है और युद्ध ,युद्ध ही होता है . युद्ध विनाश ही करता है चाहे कम विनाश करें या ज्यादा विनाश करें लेकिन विनाश करता जरूर है इसलिए शांति से जो काम निकल जाए वही अच्छा है. अज्ञान का रोग जितना कम हो वही ठीक है और यह रोग जितनी जल्दी ठीक हो जाए वही सबसे अच्छा है ।
इसलिए रोग को ( बिना सोचे -समझे ज्यादा बोलने वाला रोग ) ज्यादा मत बढ़ाओ और समय पर अपनी बीमारी का जल्दी से खुद ही इलाज कर लो वही उचित रहेगा सारी समस्या गलत लाइफस्टाइल के कारण ही होता है. इसलिए अपना लाइफस्टाइल पहले ठीक करो और लाइफ स्टाइल में करना क्या है - 50% ही भोजन करना है वह भी सदा भोजन बाकी समय भूख लगने पर केवल और केवल फल ही खाना है।
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