कक्षा चौथी तक जाते-जाते बच्चों को यह पता हो जाना चाहिए कि हां श्री गीता नाम की कोई धाकड़ चीज है. जो की मार्गदर्शन करने में एकदम अचूक है. और यह गीता अच्छा बुरा का सहुर और अच्छा स्वभाव कुल सिखाती है
क्योंकि यह संसार में कैसे रहा जाता है ? कब क्या कौन सा काम करना है कौन सा छोड़ना है ? इसका ज्ञान हम स्कूल और कॉलेज से नहीं ले पाते हैं या बिल्कुल ही कम परसेंटेज के रूप में लेते हैं जो की बहुत ही ज्यादा फलदायिनी नहीं होता है जब कि श्री गीता शास्त्र का ज्ञान आपको कंपलीट नॉलेज देता है एक बार इस किताब को पढ़कर जरूर से देखें जरूर मतलब जरूर - जरूर से देखे। यह दिब्य किताब आपके जीवन में पुण्य अमृत रूपी आकाश -जल सब कुछ भर देगा एकबार पढ़कर तो देखे आपकी की मूर्खता रूपी सारी बीमारी यह दूर कर देगा हम पढ़ते ही नहीं और दूसरे के बहकावे में आकर इसे छोड़ देते है ,दुस्ट लोग आपको सही रास्ते नहीं चलने देंगे इसलिए उनके चक्कर में अर्थात उनकी बातो में ना फसे।
जैसे आपने अपने जीवन में इतनी सारी किताबें पढ़ी वैसे श्री गीता शास्त्र को पढ़ने में क्या जाता है आप उसे भी पढ़ ही सकते हैं ,जब पढ़ लेंगे और पढ़ने के बाद जब
कक्षा चौथी तक जाते-जाते बच्चों को यह पता हो जाना चाहिए कि हां श्री गीता नाम की कोई धाकड़ चीज है. जो की मार्गदर्शन करने में एकदम अचूक है. और यह गीता अच्छा बुरा का सहुर और अच्छा स्वभाव कुल सिखाती है
क्योंकि यह संसार में कैसे रहा जाता है ? कब क्या कौन सा काम करना है कौन सा छोड़ना है ? इसका ज्ञान हम स्कूल और कॉलेज से नहीं ले पाते हैं या बिल्कुल ही कम परसेंटेज के रूप में लेते हैं जो की बहुत ही ज्यादा फलदायिनी नहीं होता है जब कि श्री गीता शास्त्र का ज्ञान आपको कंपलीट नॉलेज देता है एक बार इस किताब को पढ़कर जरूर से देखें जरूर मतलब जरूर - जरूर से देखे। यह दिब्य किताब आपके जीवन में पुण्य अमृत रूपी आकाश -जल सब कुछ भर देगा एकबार पढ़कर तो देखे आपकी की मूर्खता रूपी सारी बीमारी यह दूर कर देगा हम पढ़ते ही नहीं और दूसरे के बहकावे में आकर इसे छोड़ देते है ,दुस्ट लोग आपको सही रास्ते नहीं चलने देंगे इसलिए उनके चक्कर में अर्थात उनकी बातो में ना फसे।
जैसे आपने अपने जीवन में इतनी सारी किताबें पढ़ी वैसे श्री गीता शास्त्र को पढ़ने में क्या जाता है आप उसे भी पढ़ ही सकते हैं ,जब पढ़ लेंगे और पढ़ने के बाद जब
कक्षा चौथी तक जाते-जाते बच्चों को यह पता हो जाना चाहिए कि हां श्री गीता नाम की कोई धाकड़ चीज है. जो की मार्गदर्शन करने में एकदम अचूक है. और यह गीता अच्छा बुरा का सहुर और अच्छा स्वभाव कुल सिखाती है
क्योंकि यह संसार में कैसे रहा जाता है ? कब क्या कौन सा काम करना है कौन सा छोड़ना है ? इसका ज्ञान हम स्कूल और कॉलेज से नहीं ले पाते हैं या बिल्कुल ही कम परसेंटेज के रूप में लेते हैं जो की बहुत ही ज्यादा फलदायिनी नहीं होता है जब कि श्री गीता शास्त्र का ज्ञान आपको कंपलीट नॉलेज देता है एक बार इस किताब को पढ़कर जरूर से देखें जरूर मतलब जरूर - जरूर से देखे। यह दिब्य किताब आपके जीवन में पुण्य अमृत रूपी आकाश -जल सब कुछ भर देगा एकबार पढ़कर तो देखे आपकी की मूर्खता रूपी सारी बीमारी यह दूर कर देगा हम पढ़ते ही नहीं और दूसरे के बहकावे में आकर इसे छोड़ देते है ,दुस्ट लोग आपको सही रास्ते नहीं चलने देंगे इसलिए उनके चक्कर में अर्थात उनकी बातो में ना फसे।
जैसे आपने अपने जीवन में इतनी सारी किताबें पढ़ी वैसे श्री गीता शास्त्र को पढ़ने में क्या जाता है आप उसे भी पढ़ ही सकते हैं ,जब पढ़ लेंगे और पढ़ने के बाद जब कक्षा चौथी तक जाते-जाते बच्चों को यह पता हो जाना चाहिए कि हां श्री गीता नाम की कोई धाकड़ चीज है. जो की मार्गदर्शन करने में एकदम अचूक है. और यह गीता अच्छा बुरा का सहुर और अच्छा स्वभाव कुल सिखाती है
क्योंकि यह संसार में कैसे रहा जाता है ? कब क्या कौन सा काम करना है कौन सा छोड़ना है ? इसका ज्ञान हम स्कूल और कॉलेज से नहीं ले पाते हैं या बिल्कुल ही कम परसेंटेज के रूप में लेते हैं जो की बहुत ही ज्यादा फलदायिनी नहीं होता है जब कि श्री गीता शास्त्र का ज्ञान आपको कंपलीट नॉलेज देता है एक बार इस किताब को पढ़कर जरूर से देखें जरूर मतलब जरूर - जरूर से देखे। यह दिब्य किताब आपके जीवन में पुण्य अमृत रूपी आकाश -जल सब कुछ भर देगा एकबार पढ़कर तो देखे आपकी की मूर्खता रूपी सारी बीमारी यह दूर कर देगा हम पढ़ते ही नहीं और दूसरे के बहकावे में आकर इसे छोड़ देते है ,दुस्ट लोग आपको सही रास्ते नहीं चलने देंगे इसलिए उनके चक्कर में अर्थात उनकी बातो में ना फसे।
जैसे आपने अपने जीवन में इतनी सारी किताबें पढ़ी वैसे श्री गीता शास्त्र को पढ़ने में क्या जाता है आप उसे भी पढ़ ही सकते हैं ,जब पढ़ लेंगे और पढ़ने के बाद जब आपने भौतिक स्कूली - कॉलेज में प्राप्त होने वाले ज्ञान से तुलना (कंपैरिजन) करेंगे तो आपको लगेगा कि आपने जो स्कूल - कालेज में पढ़ा था वह सारी किताबें लगभग फालतू के कूड़ा करकट ही थे। यह चीज़ केवल दूसरे के कहने या सुनने से नहीं समझ आएगा यह ज्ञान तभी समझ आएगा जब आप श्री गीता को पढ़कर अपने भौतिक ज्ञान से तुलना करेंगे तभी एहसास होगा इसके दिब्य पावर का और भौतिक ज्ञान के कूड़ा होने का।
स्कूली - कॉलेज में प्राप्त होने वाले ज्ञान से तुलना (कंपैरिजन) करेंगे तो आपको लगेगा कि आपने जो स्कूल - कालेज में पढ़ा था वह सारी किताबें लगभग फालतू के कूड़ा करकट ही थे। यह चीज़ केवल दूसरे के कहने या सुनने से नहीं समझ आएगा यह ज्ञान तभी समझ आएगा जब आप श्री गीता को पढ़कर अपने भौतिक ज्ञान से तुलना करेंगे तभी एहसास होगा इसके दिब्य पावर का और भौतिक ज्ञान के कूड़ा होने का। स्कूली - कॉलेज में प्राप्त होने वाले ज्ञान से तुलना (कंपैरिजन) करेंगे तो आपको लगेगा कि आपने जो स्कूल - कालेज में पढ़ा था वह सारी किताबें लगभग फालतू के कूड़ा करकट ही थे। यह चीज़ केवल दूसरे के कहने या सुनने से नहीं समझ आएगा यह ज्ञान तभी समझ आएगा जब आप श्री गीता को पढ़कर अपने भौतिक ज्ञान से तुलना करेंगे तभी एहसास होगा इसके दिब्य पावर का और भौतिक ज्ञान के कूड़ा होने का।
स्कूली - कॉलेज में प्राप्त होने वाले ज्ञान से तुलना (कंपैरिजन) करेंगे तो आपको लगेगा कि आपने जो स्कूल - कालेज में पढ़ा था वह सारी किताबें लगभग फालतू के कूड़ा करकट ही थे। यह चीज़ केवल दूसरे के कहने या सुनने से नहीं समझ आएगा यह ज्ञान तभी समझ आएगा जब आप श्री गीता को पढ़कर अपने भौतिक ज्ञान से तुलना करेंगे तभी एहसास होगा इसके दिब्य पावर का और भौतिक ज्ञान के कूड़ा होने का।
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