श्री नवरात्रि आरती देवी दुर्गा, माँ अम्बे और शक्ति की पूजा के दौरान गाई जाती है। यह आरती नवदुर्गा के नौ रूपों की पूजा और स्तुति के लिए की जाती है। नवदुर्गा में माँ शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री का पूजन होता है।
यहाँ श्री दुर्गा माँ की आरती प्रस्तुत है:
श्री दुर्गा माँ की आरती
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
ॐ जय अम्बे गौरी...॥
माँ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
ॐ जय अम्बे गौरी...॥
माँ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
ॐ जय अम्बे गौरी...॥
सृष्टि स्वरूपा, विश्व विधाता।
तुम ही हो जगदम्बा माता।
तुम ही हो आद्य शक्ति प्राचीन।
शुभ मंगल की तुम हो दात्री, शुभ मंगल की तुम हो दात्री॥
ॐ जय अम्बे गौरी...॥
पूजा अर्चन, धूप दीप से।
भक्त करें माँ तुम्हें हरिप्रीत से॥
कृपा दृष्टि चितवन से दे देखो।
दुख दरिद्र सब हर ले लो॥
ॐ जय अम्बे गौरी...॥
तुम ही हो माता भक्तों की रक्षक।
दुर्गम पथ पर संकट हरिणी।
विनती हमारी सुनो जगदम्बे।
सुख-संपत्ति की करो कृपा माँ, सुख-संपत्ति की करो कृपा॥
ॐ जय अम्बे गौरी...॥
नौ रूपों की महिमा भारी।
शिव-सती से हुई तुम अवतारी॥
महिषासुर का किया संहार।
तुम जगदम्बा सारा संसार॥
ॐ जय अम्बे गौरी...॥
जो ये आरती गाएगा।
चिति सुधि भाव से जाएगा॥
माँ उसे संतोष मिलेगा।
दुख दरिद्र न निकट आएगा॥
ॐ जय अम्बे गौरी...॥
आरती का महत्व:
- नवरात्रि के दिनों में माँ दुर्गा की पूजा विशेष रूप से की जाती है और यह आरती उन दिनों में माँ के प्रति समर्पण का प्रतीक होती है।
- आरती का पाठ माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और जीवन में शक्ति, सुख, समृद्धि और मानसिक शांति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
- भक्तों द्वारा इस आरती का गान सुबह और शाम के समय विशेष रूप से किया जाता है। इससे देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
नवरात्रि की आरती माँ दुर्गा की पूजा के अंतर्गत की जाने वाली महत्वपूर्ण साधना है, जिससे माँ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें और अपने जीवन से दुःख, कष्ट, दरिद्रता और संकटों को दूर कर सकें।
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