अकबर-बीरबल की मजेदार कहानी: आधी रात का न्याय
बीरबल ने चुनौती स्वीकार कर ली। अकबर ने उसे बताया कि वह किस रात और किस समय दरबार में आना है।
उस रात, बीरबल समय पर दरबार में पहुंच गया। अकबर ने मुस्कुराते हुए कहा, "बीरबल, मेरी समस्या यह है कि एक किसान ने शिकायत की है कि उसका पड़ोसी उसके खेत की सीमा को तोड़कर अपने खेत में मिला रहा है। तुम मुझे बताओ कि किसान के खेत की सही सीमा क्या है?"
बीरबल ने तुरंत उत्तर दिया, "जहांपनाह, यह बहुत आसान है। हमें उस स्थान पर जाना चाहिए और किसान से पूछना चाहिए कि उसने अपने खेत की सीमा को कैसे पहचाना था।"
अकबर और बीरबल किसान के खेत पर पहुंचे। बीरबल ने किसान से पूछा, "तुम्हारी खेत की सीमा कौन सी है?"
किसान ने बताया, "जहांपनाह, मेरी खेत की सीमा इन पत्थरों से पहचानी जाती है, जो मैंने खुद रखे हैं।"
बीरबल ने एक पत्थर उठाया और उसे ध्यान से देखा। फिर उसने अकबर से कहा, "जहांपनाह, यह पत्थर यहाँ बहुत समय से है, क्योंकि इस पर काई जम चुकी है। इसका मतलब है कि यह पत्थर सही स्थान पर है।"
बीरबल ने बाकी पत्थरों की भी जांच की और पाया कि वे सभी सही स्थान पर हैं। उसने कहा, "जहांपनाह, किसान सही कह रहा है। उसके खेत की सीमा यही है और उसका पड़ोसी गलत कर रहा है।"
अकबर ने किसान के पड़ोसी को बुलाया और उसे समझाया कि उसे किसान की सीमा का सम्मान करना चाहिए। पड़ोसी ने अपनी गलती मानी और माफी मांगी।
अकबर ने बीरबल की तारीफ की और कहा, "बीरबल, तुमने एक बार फिर साबित कर दिया कि तुम किसी भी समस्या का हल निकाल सकते हो।"
सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चाई और न्याय हमेशा जीतते हैं और समस्या का समाधान धैर्य और बुद्धिमानी से निकाला जा सकता है.
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