ऐसा पढ़ाई - लिखाई ,ज्ञान ,रुपया - पैसा किस काम का जो माता-पिता की इज्जत की बखिया ही उधेड़ कर रख दे .



 बीटेक और एमबीबीएस कर लेने के बाद आज का युवा अपने माता-पिता का बाप   खुद ही बन जा रहा है , उसे अपने माता से कैसे बात करनी चाहिए और पिता से कैसे बात करनी चाहिए ? उसका उसे जरा भी अंदाजा नहीं रहता है . मोटी भाषा में समझे तो उसे बोलने का एकदम  सहूर (बोलने का ढांग)  नहीं है . उसे लगता है कि उसने डिग्री हासिल करके सब कुछ जान लिया है , संसार को जीत लिया है  और वह बहुत आगे है और सबसे आगे है अतः उसे अब किसी के सामने झुकने की जरूरत नहीं है या   परिवार में , रिश्तेदारी में  और समाज में बहुत ही ज्यादा विनम्र होकर बोलने की भी जरूरत नहीं है यह समझे कि उसे लगता है कि वह बहुत ही  श्रेष्ठ है और श्रेष्ठ क्या कभी-कभी वह खुद को ही अति श्रेष्ठ मानने लगता है. इस तरह का तमाम तरह के उल्टे सीधे और बे फालतू के विचार उसके मन में घर बनाने लगते  हैं  और दिन पर दिन वह ब्यक्ति इन विचारों में फसता और उलझता ही चला जाता है  और उसे कोई निकलने वाला रास्ता दिखाई ही नहीं देता है और ऐसा भी कोई व्यक्ति भी नहीं मिलता जो उसे ,उस उलझन भरी विचार और झंझटो    से मुक्ति दिला सके.


 वह एक मकड़ी के जाले की तरह स्वयं में फसता चला जाता है , मकड़ी तो अपने जाल से बाहर भी निकल  जाती है लेकिन वह व्यक्ति अपनी जाल में ही घुट घुट कर जीने लगता है क्योंकि उसे ज्ञान ही नहीं है कि कैसे उस जंजाल से बाहर निकला  जाए.


सबसे खास बात यह है की उसे एहसास ही नहीं होता की वह किसी जाल में फसा है ,वह जाल को ही मुक्ति मानकर जीवन बिताता   है  और इस तरह इंसान होकर भी  बैल की तरह जीवन जीता है. यानी खाल इंसान की और जीवन शैली बैलो की। लानत है  ऐसे शिक्षा पर  और   किताबो  पर  जो हमें बैल बनाते है। आज के युवा को लगता है कि वह बहुत ही ज्ञानी है , काबिल है ,तेज़ है लेकिन दरअसल में वह बहुत बड़ा अज्ञानी  है दरअसल उसने ज्ञान तो प्राप्त किया ही नहीं बल्कि अज्ञान को ही ज्ञान समझकर  प्राप्त किया है या उससे कुछ एक स्टेप आगे समझ तो समझ सकते हैं कि  उसने ज्ञान कम और अज्ञान ज्यादा प्राप्त किया है , भाई ऐसा पढ़ाई - लिखाई ,ज्ञान ,रुपया - पैसा किस काम का जो माता-पिता की इज्जत की बखिया ही  उधेड़ कर रख दे  .


 ऐसी पढ़ाई और डिग्री किस काम की जो माता-पिता का सम्मान करने के बजाय उनका तिरस्कार और निरादर ही करें और कभी-कभी तो ऐसा देखा गया है कि जो बच्चे डिग्री प्राप्त कर लेने के बाद अपने माता-पिता को  ही गालियां देने लगते हैं जो कि इस समय मॉडर्न पैटर्न के रूप में खूब चला  है माता-पिता की थोड़ी सी गलती उन्हें बहुत बड़े हाई परसेंटेज के रूप में दिखती है, वह अपने को ही सब कुछ करने धरने वाला मान लेते हैं वह भूल जाते हैं की बचपन में माता-पिता ने कितनी उनकी सेवा की है तब जाकर वे इस लायक बने कि वे अपने पैरों पर खड़ा हो, सके अगर इंसान अपने बचपन के  दिन याद करें अगर याद नहीं कर सकता है तो नेचर में देखते हुए भी समझ सकता है कि यदि माता ने अपने संतान की सेवा न की होती तो उसकी क्या दशा होती वह अपने मल में ही  लिपट - लिपट  कर , पोत - पोत  कर मर   जाता .  


Post a Comment

0 Comments