Shri Laxmi Chalisa In Hindi




लक्ष्मी चालीसा श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहैं अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
मातु लक्ष्मी करु कृपा, करो हृदय में वास।
अज्ञान तिमिर हटाइये, जुग-जुग रहो प्रकाश॥1॥

जया लक्ष्मी महारानी, जय वरदा जगदम्बा।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि बिनवाबा॥2॥

विष्णुपत्नी जग जननी, तुम हरि प्रिया सुहायी।
प्रेम सहित जो जपै तुम्हें, नित मंगल सुख पाई॥3॥

पद्मासिनी सुशोभित, धवल कमल सिंगासन।
स्वर्णवर्ण तन उज्जवल, चार भुजाधर धारन॥4॥

कर मध्य कमल शोभित, कर माला पुस्तक चारी।
अक्षत और कुषा में, रत्न जटित वेणी प्यारी॥5॥

कहूं सुख सम्पत्ति रतनाकर, सेवक सुखकारी।
जो कोई विनय करत जन, तासकी बिगड़ी संवारी॥6॥

कहत अयोध्यादास आस, तुम पूरण कर देहु।
दारिद्र नाश कर लक्ष्मी, भक्तन सुख देहु॥7॥

जय लक्ष्मी महारानी, वर देहु जगदम्बे।
अयोध्यादास आज सेवक, दारिद्र दूर करम्बे॥8॥

जो लक्ष्मी चालीसा गावे, ताहि विष्णुप्रिया सुख देवे।
धन, वैभव संपत्ति निधान, सदा के लिये उनके पास रहे॥9॥


॥दोहा॥


॥मातु लक्ष्मी करि कृपा, करिहौ हृदय निवास॥
जीवन में कभी न हो, धन, सम्पत्ति की त्रास॥

॥चौपाई॥


जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

जय जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निस दिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥

विष्णुपत्नी तुम हो माता, जगद्विधाता अंबे।
सदा लक्ष्मी रूप में, पतिव्रता धर्म निभाते॥

हिमालय पर्वत पर वास, हरि संग सुर वर काज।
सप्तऋषि सुर मुनि जग में, कहत आपकी लाज॥

चौदह भुवन में जय-जयकार, यश गावत नित नार।
हरि विष्णु संग नृत्य तुम्हारा, श्रवण सुने सब संसार॥

लक्ष्मीजी की करूँ आरती, जो कोई नर गावे।
तासु निकट दरिद्रता आवे॥

त्रिलोक पाताल की रानी, सर्व सिद्धि तुमसे आये।
यश कीर्ति प्राप्त करे नर, कोई सुमिरन जो कर पाये॥

आपकी महिमा विष्णु वखानी, कहत सद्ग्रंथ पुराण।
जो कोई पाठ करे स्तुति, उसको भवसागर तारे॥

ध्यान धरहूँ दीनदयाल, जय लक्ष्मी माता॥
तुमको सेवत हरिपद मृदु, हर दुख सुखदाता॥































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